मलेरिया बुखार - कारण लक्षण जांच और उपचार Malaria symptoms in hindi
मलेरिया का बुखार बहुत ही आम बीमारी है जो कि Plasmodium नामक
एक परजीवी की वजह से होती है। भारत और भारत जैसी तमाम विकासशील देशों यह बहुत ही
आम बीमारी है। Malaria Fever से पीड़ित व्यक्ति को तेज बुखार के साथ कपकपी
और जैसे symptoms देखे जाते हैं।
विश्व में हर वर्ष करीब 2 करोड़ से ज्यादा लोग मलेरिया से संक्रमित होते हैं, और
उनमे से 4.5 लाख के करीब लोग इसकी वजह जान भी गवा देते हैं। एक आंकड़े के
मुताबिक मरने वालों में ज्यादातर अफ्रीका के छोटे बच्चे हैं।
WHO के मुताबिक दक्षिण पूर्व एशिआई क्षेत्र में पाए जाने वाले कुल मलेरिया का 70
% भारत में पाया जाता है। भारत में हर वर्ष 20 लाख लोग मलेरिया से संक्रमित
होते है। उनमे से 1000 लोगो की मौत मलेरिया की वजह से होती है। मलेरिया से हुई
मौतों में ज्यादातर मरीज Plasmodium falciparum नामक परजीवी से
ग्रसित होते हैं।
Temperate climates या समशीतोष्ण जलवायु वाले देशों में मलेरिया के
मरीज ज्यादा नहीं मिलते है परन्तु Tropical and subtropical देशों में अभी भी यह
बहुत ही आम है। अभीतक मलेरिया के बुखार के टीका मौजूद नहीं है।
विश्व भर के साइंटिस्ट इस बीमारी के टीके के खोज में लगी हुई है।
मलेरिया होने का कारण - Malaria kaise hota hai ?
मलेरिया एक जानलेवा बीमारी है जो आम तौर पर Female Anopheles mosquito के काटने से होती है। ये इन्फेक्टेड मच्छर अपने
साथ मलेरिया परजीवी (Plasmodium) लेकर चलती है। जब यह मच्छर
आपको काटती है तब ये पैरासाइट आपके खून से पहुंच जाते हैं।
Cycle of malaria |
खून में पहुंचने के बाद ये लिवर तक पहुंचते हैं। लिवर में इनका विकास होता है।
कुछ दिन लिवर में रहने के बाद जब ये पूरी तरह से विकसित हो जाते है, ये पुनः आपके
खून में पहुंच जाते हैं और फिर लाल रुधिर कणिकाओं (RBC) को इन्फेक्ट करना
शुरू करते हैं।
RBC में पहुंचने के बाद ये 24 से 48 घंटों में ये दुगुने हो जाते
हैं। जैसे जैसे इनकी संख्या बढ़ती है रेड ब्लड सेल्स फट जाती हैं और ये
पैरासाइट फिर ब्लड में पहुंच जाते हैं। जैसे जैसे बढ़ती है
शरीरआरबीसी की संख्या कम हो जाती है और मलेरिया बुखार के लक्षण दिखने लगते
हैं।
इन्फेक्शन के अन्य तरीके
- माँ से अजन्मे बच्चे को
- ब्लड transfusion से
- इन्फेक्टेड सीरिंज के उपयोग से
अधिक-गंभीर बीमारी के जोखिम
- ऐसा देश जहाँ मलेरिया की बीमारी नहीं पायी जाती वहां से आने वाले पर्यटकों को
- छोटे बच्चे और शिशुओं को
- बुजुर्गों को
- गर्भवती महिलाएं और उनके अजन्मे बच्चे
मलेरिया बुखार के लक्षण - Malaria symptoms
Symptoms of malaria |
मलेरिया बुखार के क्या लक्षण है?
मलेरिया के बुखार में आम तौर पर नीचे दिए हुआ लक्षण पाए जाते हैं
- ठंड लगना जो मध्यम से गंभीर तक हो सकती है
- तेज़ बुखार
- सरदर्द
- जी मिचलाना
- उल्टी
- रक्ताल्पता या एनिमिआ
- मांसपेशियों में दर्द
- मल में खून
नीचे दिए अन्य लक्षण भी दिख सकते हैं हो सामान्यतः नहीं देखे जाते:
- पसीना आना
- सीने या पेट में दर्द
- खांसी
कुछ लोगों में मलेरिया का बुखार बार बार देखा जाता है।
Malaria fever आम तौर पर कंपकपी और ठंडी उसके बाद तेज बुखार होता है।
थोड़ी देर के बाद पसीना और फिर धीरे धीरे शरीर का तापमान सामान्य हो जाता
है। आम तौर पर मलेरिया के लक्षण इन्फेक्टेड मच्छर के काटने के कुछ हफ़्तों के
बाद देखा जाता है। परन्तु कुछ मलेरिया परिजीवी आपके शरीर में भी रह सकते
हैं।
मलेरिया Diagnosis कैसे की जाती है?
अगर आपको लगता है कि आपको मलेरिया के लक्षण हैं तो आप डॉक्टर से
मिलकर मलेरिया कन्फर्म कर सकते हैं। डॉक्टर आपकी हेल्थ हिस्ट्री से पता सकर सकते
हैं की क्या आप को मलेरिया की होने की संभावना हैं। जिसमे वे आपकी ट्रवेल
हिस्ट्री, ब्लड transfusion और कुछ ऐसी और जानकारी ले सकते हैं।
Plasmodium can be seen in RBC |
डॉक्टर आपके लिवर और स्प्लीन में अगर कोई सूजन हुई है तो उससे भी देखेंगे।
कुछ अन्य जांचो जिसमे खून की जाँच हो सकती है। खून की जांच से डॉक्टर आपको
निम्नलिखित बाते भी बता सकते हैं -
- आपको मलेरिया है या नहीं
- अगर है तो किस प्रकार का मलेरिया है
- क्या आपको इस बीमारी की वजह से Anemia हुआ है
मलेरिया के लिए कौन सा टेस्ट होता है?
मलेरिया की जांच ब्लड टेस्ट द्वारा की जाती है। मलेरिया की जाँच करने के लिए मरीज के ब्लड सैंपल की स्लाइड तैयार की जाती है। इस स्लाइड की मदद से प्रशिक्षित डॉक्टर्स माइक्रोस्कोप द्वारा मरीज के ब्लड में प्लासमोडियम नमक परजीवी की खोज करते हैं ।
आजकल अत्याधुनिक तकनीक से तैयार की हुई मलेरिया एंटीजन रैपिड टेस्ट कार्ड की मदद से कुछ ही मिनटों में मलेरिया पैरासाइट या प्लासमोडियम की जाँच की जा सकती है।
मलेरिया पैरासाइट के प्रकार
सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल अमेरिका (CDC) के अनुसार मानव में मलेरिया फ़ैलाने वाले
प्लासमोडियम पैरासाइट की निम्नलिखित 4 प्रकार हैं
- प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम
- पी विवैक्स
- पी ओवेल
- पी मलेरिया
मलेरिया के Complication
मलेरिया तो वैसे ही एक खतरनाक और जानलेवा बीमारी है पर साथ ही इसकी और
Complication भी हैं
सेरेब्रल मलेरिया
पैरासाइट से भरी रक्त कोशिकाएं जब पतली और छोटी नशों में जाती है तो वह ब्लॉक हो
जाती हैं। ब्लॉक होने की वजह से मस्तिष्क में सूजन हो जाता है। सेरिब्रल
मलेरिया वजह से मरीज को दौरे पड़ सकते हैं। और ये भी हो सकता है है की
मरीज कोमा ले चला जाये
साँस की परेशानी
आपके फेफड़ों में कुछ तरल पदार्थ भर जाता है जिसको Pulmonary edema के नाम
से जाना जाता है। फेफड़ों में तरल पदाथ या fluid के भर जाने से सांस लेने में
तकलीफ होने लगती है।
अंग विफलता
मलेरिया की वजह से लिवर और किडनी भी ख़राब हो सकती है। कभी कभी
मलेरिया की वजह से स्प्लीन भी फट जाता है।
एनीमिया
मलेरिया लाल रक्त कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है, जिसके परिणामस्वरूप
एनीमिया हो सकता है।
लो ब्लड शुगर
मलेरिया का एक कम्प्लीकेशन ब्लड शुगर का कम होना भी है। मलेरिया के
ट्रीटमेंट में उपयोग की जाने वाली मेडिसिन Quinine इसकी वजह से ब्लड शुगर कम हो सकता है। अगर यही ब्लड शुगर बहुत कम हो जाये तो मरीज
कोमा में जा सकता है, और ये भी हो सकता है की मरीज की मृत्यु हो
जाये।
मलेरिया का इलाज कैसे किया जाता है?
जैसा आपने पढ़ा की यह एक जानलेवा बीमारी है। यह और गंभीर तब हो हो
जाती है जब आप Plasmodium की एक जाति P. falciparum से इन्फेक्टेड हों। आमतौर पर
मलेरिया का इलाज हॉस्पिटल में ही होता है। हॉस्पिटल में मौजूद डॉक्टर्स आपको उस
प्रकार की दवा चलाते है जिस प्रकार के पैरासाइट से आप इन्फेक्ट हुए
हैं।
इसके अतिरिक्त, कुछ प्रकार के मलेरिया परजीवी, जैसे पी विवैक्स और पी ओवले, इनके
लिवर में चलने वाली स्टेज काफी लंबी हो सकती है वजह से हो सकता है की ये
बाद में भी मलेरिया से इन्फेक्ट कर दे।
यदि आप प्रकार के मलेरिया परजीवी से संक्रमित है , तो आपको भविष्य में होने
वाली किसी भी प्रकार के मलेरिया की भी दवा दी जाती है।
मलेरिया कितने दिन तक रहता है?
आम तौर पर मलेरिया के लक्षण दिखने में १० से १२ दिन का समय लगता है। इसलिए डॉक्टर्स का मानना है कि मलेरिया का लक्षण जितनी जल्दी दिखाई दे उतनी जल्दी ही इलाज सुरु कर देना चाहिए। इस बीमारी में इलाज जितनी देर दे होता है मरीज के ठीक होने की उम्मीद भी उतनी ही कम होने लगती है। अगर जल्दी से इसका इलाज शुरू होता है तो दो से चार दिन में ही मरीज ठीक होने लगता है। हालाँकि मरीज को पूरी तरह स्वस्थ होने में २ से ३ हफ्ते लग सकते हैं।
मलेरिया की पुनरावृत्ति हो सकती है
मलेरिया परजीवी की कुछ किस्में, जो आम तौर पर ज्यादा खतरनाक नहीं होती ,
वे वर्षों तक आपके शरीर में रह सकती हैं और रिलैप्स का कारण बन
सकती हैं।
मलेरिया से बचाव
वैसे भारत में मलेरिया का बुखार बहुत ही आप है पर भी अगर आप ऐसे क्षेत्र में रहते
हैं जहा मलेरिया का इतना प्रभाव नहीं है, या आप एक ऐसे देश में रहते हैं
जहाँ मलेरिया नहीं होता है तो आपको ऐसे क्षेत्र में जहा मलेरिया होना आम है, जाने
से पहले आपको विशेष ध्यान रखना चाहिए।
अगर आप को यह ज्ञात नहीं की किस क्षेत्र में मलेरिया जय प्रभावी है तो आप सेंटर
फॉर डिजीज कंट्रोल के Up to date
Country table of malaria
का इस्तेमाल कर सकते है। इसमें आपको हर वो बात मिल जाएगी जो आपको जननी
चाहिए।
मच्छर भोर और शाम के समय अधिक सक्रीय रहते हैं तो आपको यह चाहिए कि आप इस वक़्त
ज्यादा ध्यान दें।
- अपनी त्वचा को ढक कर रखें
- फुल स्लीव के शर्ट और पैंट पहने
- मच्छरों को दूर करने वाली क्रीम और लिक्विड का उपयोग करें
- मच्छरदानी का उपयोग करें
अभी तक कोई टीका नहीं
दुनिया भर के वैज्ञानिक मलेरिया के लिए एक सुरक्षित और प्रभावी टीका विकसित करने
की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, अभी तक, मानव उपयोग के लिए कोई मलेरिया वैक्सीन
स्वीकृत नहीं है।
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