गर्भावस्था में काले धब्बे (तीसरा त्रैमास): कारण, उपचार और बचाव - Black Spots in Third Trimester of Pregnancy

Black Spots on Hands, Feet & Body in Third Trimester of Pregnancy



परिचय (Introduction)

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गर्भावस्था हर महिला के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण समय होता है। जैसे-जैसे गर्भावस्था आगे बढ़ती है, शरीर में कई बदलाव होते हैं। तीसरे त्रैमास (7वें से 9वें महीने) में अक्सर महिलाओं को हाथ, पैर और शरीर पर काले धब्बे (dark spots / pigmentation) की समस्या दिखाई देती है।

इसे सामान्य रूप से Melasma (चमड़ी पर दाग-धब्बे) या Hyperpigmentation (अत्यधिक कालेपन) कहा जाता है। यह समस्या ज्यादातर हार्मोनल बदलाव, रक्त प्रवाह में वृद्धि और शरीर की त्वचा पर दबाव के कारण होती है।

यह सामान्य है और ज़्यादातर मामलों में प्रसव (delivery) के बाद धीरे-धीरे कम हो जाती है। लेकिन कई बार यह ज़िद्दी हो जाती है और इलाज की ज़रूरत पड़ सकती है।


कारण (Causes of Dark Spots in Pregnancy)

1. हार्मोनल परिवर्तन (Hormonal Changes)

  • गर्भावस्था में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है।
  • ये हार्मोन Melanin pigment की मात्रा बढ़ा देते हैं, जिससे त्वचा पर धब्बे दिखने लगते हैं।

2. सूरज की रोशनी (Sun Exposure)

  • सूर्य की UV rays त्वचा के मेलानिन को और सक्रिय करती हैं।
  • गर्भवती महिलाओं की त्वचा पहले से ही संवेदनशील होती है, जिससे धब्बे गहरे दिखने लगते हैं।

3. आयरन और विटामिन की कमी (Nutritional Deficiency)

  • आयरन, फोलिक एसिड, और विटामिन B12 की कमी भी त्वचा के रंग में बदलाव ला सकती है।

4. वजन और रक्त प्रवाह में वृद्धि (Weight & Blood Circulation)

  • गर्भावस्था में बढ़े हुए वजन और ब्लड सर्कुलेशन से हाथ-पैरों की नसों और त्वचा पर दबाव बढ़ता है, जिससे डार्क पैच बन सकते हैं।

5. आनुवंशिक कारण (Genetic Factors)

  • यदि परिवार में किसी महिला को प्रेग्नेंसी में मेलास्मा हुआ है, तो अगली पीढ़ी में भी इसकी संभावना बढ़ जाती है।

लक्षण (Symptoms)

  • हाथ, पैर, पेट और चेहरे पर भूरे या काले धब्बे
  • कभी-कभी धब्बों के आसपास खुजली या जलन
  • पैरों और टखनों पर कालेपन (darkening) की समस्या
  • धब्बे समय के साथ और गहरे हो सकते हैं


कब डॉक्टर से मिलें? (When to See a Doctor)

यदि निम्न लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए:

  • धब्बों के साथ तेज़ खुजली, लालिमा या सूजन
  • अचानक बहुत सारे धब्बे उभरना
  • त्वचा पर दर्द या छाले बनना
  • धब्बों के साथ पीलिया, थकान या सूजन होना

आधुनिक चिकित्सा (Modern Treatment)

प्रेग्नेंसी के दौरान दवाइयों का चयन बहुत सावधानी से किया जाता है।

  1. टॉपिकल क्रीम (Safe Creams in Pregnancy)
    • Aloe vera gel
    • Vitamin E oil
    • Kojic acid (low dose)
    • Azelaic acid cream
  2. सूरज से बचाव (Sun Protection)

    • हमेशा SPF 30+ वाला सनस्क्रीन लगाएँ।
    • धूप में जाने पर टोपी, स्कार्फ या छाता का प्रयोग करें।
  3. पोषण (Diet)

    • हरी पत्तेदार सब्ज़ियाँ, अनार, चुकंदर, गाजर, दालें
    • दूध, दही, अंडे (यदि अनुमति हो)
    • पर्याप्त पानी पीना (8-10 गिलास रोज़)


आयुर्वेदिक दृष्टिकोण (Ayurvedic Remedies)

आयुर्वेद में गर्भावस्था के दौरान धब्बों को “Vyanga” (व्यंग) और “Kikkisa” (किक्किस) से जोड़ा जाता है।

घरेलू नुस्खे (Home Remedies in Ayurveda)

    • हल्दी + दूध का लेप – त्वचा की चमक बनाए रखता है।
    • एलोवेरा जेल – त्वचा को ठंडक और नमी देता है।
    • चंदन और गुलाबजल का पैक – धब्बों को हल्का करता है।
    • नीम और तुलसी का पेस्ट – त्वचा की सफाई करता है।

आंतरिक औषधियाँ (Only under doctor supervision)

    • सतावरी कल्प – हार्मोन संतुलित करने के लिए।
    • मंजिष्ठा – रक्त शुद्धि के लिए।
    • गंधक रसयान – त्वचा संबंधी रोगों के लिए।

नोट – गर्भवती महिला को किसी भी दवा/औषधि का उपयोग डॉक्टर या आयुर्वेद विशेषज्ञ की सलाह से ही करना चाहिए।


बचाव (Prevention Tips)

  • धूप में निकलते समय सनस्क्रीन का प्रयोग करें।
  • हल्का, सूती और ढीला कपड़ा पहनें।
  • आयरन और फोलिक एसिड की दवाइयाँ नियमित लें।
  • पर्याप्त नींद और तनावमुक्त जीवन शैली अपनाएँ।
  • त्वचा को बार-बार खुजलाएँ नहीं।


FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

Q1. क्या गर्भावस्था के बाद ये धब्बे अपने आप चले जाते हैं?
 हाँ, ज्यादातर मामलों में बच्चे के जन्म के 3-6 महीने बाद धीरे-धीरे कम हो जाते हैं।

Q2. क्या ये धब्बे बच्चे को नुकसान पहुँचाते हैं?
 नहीं, यह केवल माँ की त्वचा से जुड़ी समस्या है, बच्चे पर इसका असर नहीं पड़ता।

Q3. क्या इन धब्बों के लिए लेज़र ट्रीटमेंट कराया जा सकता है?
 प्रेग्नेंसी में लेज़र या केमिकल पील सुरक्षित नहीं है। डिलीवरी के बाद ही कराया जाए।

Q4. क्या आयुर्वेदिक नुस्खे प्रेग्नेंसी में सुरक्षित हैं?
 हाँ, लेकिन केवल सुरक्षित और डॉक्टर द्वारा सुझाए गए घरेलू उपायों का ही प्रयोग करें।


निष्कर्ष (Conclusion)

गर्भावस्था के तीसरे त्रैमास में हाथ-पैर और शरीर पर काले धब्बे एक सामान्य और अस्थायी समस्या हैं। उचित आहार, धूप से बचाव, सुरक्षित स्किन केयर और आयुर्वेदिक घरेलू उपायों से इन्हें काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। अधिक परेशानी होने पर डॉक्टर से संपर्क ज़रूरी है।

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