कोलेसिस्टाइटिस (पित्ताशय की सूजन): कारण, लक्षण, निदान और उपचार

 

परिचय (Introduction)

पेट के ऊपरी दाहिने हिस्से में अचानक तेज दर्द, उल्टी और बुखार? ये लक्षण कोलेसिस्टाइटिस (Cholecystitis) के हो सकते हैं, जिसे सामान्य भाषा में पित्ताशय की थैली की सूजन (Gallbladder Inflammation) कहते हैं। पित्ताशय (Gallbladder) लिवर के ठीक नीचे स्थित एक छोटा, नाशपाती के आकार का अंग है, जिसका मुख्य काम लिवर द्वारा उत्पादित पित्त (Bile) को स्टोर और कंसन्ट्रेट करना है। पित्त वसा को पचाने में मदद करता है।

जब किसी कारणवश पित्त पित्ताशय से छोटी आंत तक ठीक से नहीं पहुँच पाता और पित्ताशय में जमा हो जाता है, तो उसमें सूजन आ सकती है। यह सूजन दर्दनाक होती है और अगर इसका इलाज न किया जाए तो यह गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकती है।

इस लेख में, हम कोलेसिस्टाइटिस के कारणों, इसके दो मुख्य प्रकारों (तीव्र और दीर्घकालिक), लक्षणों, निदान के तरीकों और प्रभावी उपचार विकल्पों पर विस्तार से चर्चा करेंगे। हमारा लक्ष्य आपको इस स्थिति को समझने और अपने पित्ताशय के स्वास्थ्य का ध्यान रखने में मदद करना है।

Cholecystitis

कोलेसिस्टाइटिस क्या है? (What is Cholecystitis?)

कोलेसिस्टाइटिस पित्ताशय की थैली की सूजन है। यह तब होता है जब पित्ताशय में पित्त का प्रवाह बाधित हो जाता है, जिससे पित्त जमा होने लगता है और पित्ताशय की दीवारों पर दबाव बढ़ जाता है। इस बढ़े हुए दबाव और जलन के कारण पित्ताशय में सूजन और संक्रमण हो सकता है।

कोलेसिस्टाइटिस को मुख्य रूप से दो प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है:

  1. तीव्र कोलेसिस्टाइटिस (Acute Cholecystitis): यह पित्ताशय की सूजन का अचानक और गंभीर रूप है। यह आमतौर पर पित्त पथरी (Gallstones) के कारण होता है जो पित्ताशय से पित्त ले जाने वाली नली (सिस्टिक डक्ट - Cystic Duct) को अवरुद्ध कर देती है।
  2. दीर्घकालिक कोलेसिस्टाइटिस (Chronic Cholecystitis): यह पित्ताशय की बार-बार होने वाली सूजन है जो समय के साथ विकसित होती है। यह अक्सर तीव्र कोलेसिस्टाइटिस के बार-बार होने वाले एपिसोड या पित्त पथरी के कारण पित्ताशय की दीवारों के मोटे और सख्त होने के कारण होता है।


कोलेसिस्टाइटिस के मुख्य कारण (Main Causes of Cholecystitis)

कोलेसिस्टाइटिस के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन सबसे आम कारण पित्त पथरी है:

  1. पित्त पथरी (Gallstones): लगभग 90% से 95% मामलों में, कोलेसिस्टाइटिस का कारण पित्त पथरी होती है। ये पित्त में बनने वाले छोटे, कठोर कण होते हैं। जब कोई पित्त पथरी पित्ताशय से निकलने वाली मुख्य नली (सिस्टिक डक्ट) को अवरुद्ध कर देती है, तो पित्त पित्ताशय में जमा हो जाता है, जिससे सूजन और संक्रमण हो जाता है।
  2. अकैल्कुलस कोलेसिस्टाइटिस (Acalculous Cholecystitis): यह एक कम आम, लेकिन अक्सर अधिक गंभीर प्रकार की सूजन है जो बिना पित्त पथरी के होती है। यह आमतौर पर गंभीर बीमारियों, संक्रमणों (जैसे AIDS), बड़ी सर्जरी, गंभीर चोटों (जैसे जलने), या लंबे समय तक अंतःशिरा पोषण (Intravenous nutrition) के बाद रक्त प्रवाह में कमी के कारण हो सकता है।
  3. पित्त नलिकाओं में रुकावट (Bile Duct Blockage): पित्त नलिकाओं में ट्यूमर, सिस्टिक डक्ट का मुड़ना या सिकुड़ना, या गाढ़ा पित्त (Biliary Sludge) भी पित्त के प्रवाह को रोक सकता है और सूजन का कारण बन सकता है।
  4. संक्रमण (Infection): कभी-कभी पित्ताशय में बैक्टीरिया का संक्रमण भी सूजन का कारण बन सकता है।
  5. रक्त वाहिकाओं की समस्याएं (Blood Vessel Problems): कुछ बहुत गंभीर बीमारियाँ जो रक्त वाहिकाओं को क्षतिग्रस्त करती हैं, पित्ताशय में पर्याप्त रक्त की आपूर्ति को कम कर सकती हैं, जिससे सूजन आ जाती है। यह मधुमेह (Diabetes) वाले लोगों में अधिक आम हो सकता है।
  6. पेट में चोट या सेप्सिस (Abdominal Injury or Sepsis): पेट में लगी गंभीर चोट या सेप्सिस (शरीर का गंभीर संक्रमण) भी पित्ताशय में सूजन पैदा कर सकता है


कोलेसिस्टाइटिस के लक्षण (Symptoms of Cholecystitis)

कोलेसिस्टाइटिस के लक्षण तीव्र या दीर्घकालिक रूप के आधार पर भिन्न हो सकते हैं।

तीव्र कोलेसिस्टाइटिस के लक्षण (Symptoms of Acute Cholecystitis):

तीव्र कोलेसिस्टाइटिस के लक्षण अचानक और अक्सर गंभीर होते हैं:

  • पेट के ऊपरी दाहिने हिस्से में तेज दर्द: यह दर्द अचानक शुरू होता है और लगातार बना रहता है, अक्सर यह दाहिने कंधे या पीठ तक फैल सकता है। यह दर्द गहरी सांस लेने या छूने पर बढ़ सकता है।
  • मतली (Nausea) और उल्टी (Vomiting): यह दर्द के साथ आम है।
  • बुखार (Fever) और ठंड लगना (Chills): संक्रमण या सूजन का संकेत।
  • पसीना आना (Sweating):
  • भूख न लगना (Loss of Appetite):
  • पेट फूलना (Abdominal Bloating):
  • पीलिया (Jaundice): दुर्लभ मामलों में, यदि पित्त नलिका में भी रुकावट हो तो त्वचा और आँखों का पीला पड़ना।
  • मिट्टी के रंग का मल (Clay-colored stools) या गहरे रंग का पेशाब: यह भी पित्त के प्रवाह में गंभीर रुकावट का संकेत हो सकता है।

यह दर्द अक्सर वसायुक्त भोजन (Fatty Meals) खाने के बाद शुरू होता है, क्योंकि वसा को पचाने के लिए पित्ताशय अधिक पित्त छोड़ता है, जिससे पित्ताशय पर दबाव बढ़ता है।

दीर्घकालिक कोलेसिस्टाइटिस के लक्षण (Symptoms of Chronic Cholecystitis):

दीर्घकालिक कोलेसिस्टाइटिस में लक्षण कम गंभीर हो सकते हैं और समय-समय पर आते-जाते रहते हैं।

  • पेट में बार-बार हल्का या मध्यम दर्द: यह दर्द ऊपरी दाहिने पेट में हो सकता है, जो अक्सर भोजन के बाद होता है, खासकर वसायुक्त भोजन के बाद। यह तीव्र कोलेसिस्टाइटिस जितना गंभीर नहीं होता।
  • पेट फूलना और गैस (Bloating and Gas)
  • अपच (Indigestion)
  • मतली
  • कुछ लोगों को कोई लक्षण नहीं भी हो सकते हैं, लेकिन पित्ताशय धीरे-धीरे क्षतिग्रस्त होता रहता है।


कोलेसिस्टाइटिस का निदान (Diagnosis of Cholecystitis)

यदि आपको कोलेसिस्टाइटिस के लक्षण महसूस होते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना महत्वपूर्ण है। डॉक्टर निदान के लिए निम्न परीक्षणों का उपयोग कर सकते हैं:

  • शारीरिक परीक्षण (Physical Examination): डॉक्टर आपके पेट की जांच करेंगे, खासकर ऊपरी दाहिने हिस्से में कोमलता (Tenderness) की जाँच करेंगे। मर्फी का संकेत (Murphy's Sign) एक क्लासिक परीक्षण है जहाँ डॉक्टर आपके पेट के ऊपरी दाहिने हिस्से पर दबाव डालते हुए आपको गहरी सांस लेने के लिए कहते हैं; यदि इससे तेज दर्द होता है, तो यह कोलेसिस्टाइटिस का संकेत हो सकता है।
  • रक्त परीक्षण (Blood Tests):

    • पूर्ण रक्त गणना (Complete Blood Count - CBC): यह संक्रमण का संकेत देने वाली सफेद रक्त कोशिकाओं (White Blood Cells) की बढ़ी हुई संख्या की जांच करता है।
    • लिवर फंक्शन टेस्ट (Liver Function Tests - LFTs): लिवर के कार्य और पित्त नलिका में रुकावट की जांच के लिए।
  • इमेजिंग टेस्ट (Imaging Tests):
    • पेट का अल्ट्रासाउंड (Abdominal Ultrasound): यह पित्त पथरी, पित्ताशय की दीवार का मोटा होना, पित्ताशय में तरल पदार्थ, और पित्त नलिकाओं में रुकावट का पता लगाने के लिए सबसे आम और प्रभावी तरीका है।
    • HIDA स्कैन (Hepatobiliary Iminodiacetic Acid Scan): यह एक परमाणु चिकित्सा स्कैन है जो पित्ताशय के कार्य और सिस्टिक डक्ट में रुकावट का आकलन करता है।
    • सीटी स्कैन (CT Scan) या एमआरआई (MRI): ये विस्तृत छवियां प्रदान कर सकते हैं और अन्य संभावित समस्याओं (जैसे ट्यूमर) को दूर करने में मदद कर सकते हैं।

कोलेसिस्टाइटिस का उपचार (Treatment of Cholecystitis)

कोलेसिस्टाइटिस का उपचार आमतौर पर उसकी गंभीरता और प्रकार पर निर्भर करता है। उपचार का मुख्य लक्ष्य सूजन को कम करना, संक्रमण का इलाज करना और भविष्य में होने वाले हमलों को रोकना है।

1. प्रारंभिक प्रबंधन (Initial Management - Acute Cholecystitis के लिए):

  • अस्पताल में भर्ती (Hospitalization): तीव्र कोलेसिस्टाइटिस के अधिकांश मामलों में अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होती है।
  • उपवास (Fasting): पित्ताशय को आराम देने के लिए आपको कुछ समय के लिए खाने-पीने से रोका जा सकता है।
  • अंतःशिरा तरल पदार्थ (Intravenous Fluids): डिहाइड्रेशन को रोकने के लिए नस द्वारा तरल पदार्थ दिए जाते हैं।
  • एंटीबायोटिक्स (Antibiotics): यदि संक्रमण का संदेह हो, तो संक्रमण से लड़ने के लिए एंटीबायोटिक्स दिए जाते हैं।
  • दर्द निवारक (Painkillers): दर्द को नियंत्रित करने के लिए दवाएं दी जाती हैं।

2. पित्ताशय को हटाना (Gallbladder Removal - Cholecystectomy):

पित्ताशय को शल्य चिकित्सा द्वारा हटाना (कोलेसिस्टेक्टोमी) कोलेसिस्टाइटिस का सबसे आम और प्रभावी उपचार है, खासकर तीव्र या बार-बार होने वाले दीर्घकालिक कोलेसिस्टाइटिस के लिए।

  • लेप्रोस्कोपिक कोलेसिस्टेक्टोमी (Laparoscopic Cholecystectomy): यह एक न्यूनतम इनवेसिव सर्जरी है जिसमें पेट में छोटे चीरे लगाए जाते हैं। एक छोटा कैमरा और विशेष उपकरण डाले जाते हैं, जिससे सर्जन पित्ताशय को हटा सकते हैं। यह सबसे आम तरीका है और इसमें रिकवरी का समय कम लगता है।
  • ओपन कोलेसिस्टेक्टोमी (Open Cholecystectomy): यह पारंपरिक सर्जरी है जिसमें पेट में एक बड़ा चीरा लगाया जाता है। यह तब किया जाता है जब लेप्रोस्कोपिक सर्जरी संभव न हो या जटिलताएं हों।

आमतौर पर, पित्ताशय के बिना सामान्य जीवन जीना संभव है, क्योंकि लिवर अभी भी पित्त का उत्पादन करता है। पित्ताशय को हटाने के बाद कुछ लोगों को वसायुक्त भोजन पचाने में अस्थायी कठिनाई (जैसे दस्त) का अनुभव हो सकता है।

3. अन्य उपचार विकल्प (Other Treatment Options):

  • एंडोस्कोपिक रेट्रोग्रेड कोलेंजियोपैनक्रिएटोग्राफी (ERCP): यदि पित्त पथरी मुख्य पित्त नली (Common Bile Duct) में फंस गई हो, तो इसे निकालने के लिए ERCP का उपयोग किया जा सकता है।
  • पित्ताशय की जल निकासी (Gallbladder Drainage): उन रोगियों के लिए जो सर्जरी के लिए बहुत बीमार हैं, एक ट्यूब के माध्यम से पित्ताशय से पित्त को बाहर निकालने के लिए एक प्रक्रिया की जा सकती है।


कोलेसिस्टाइटिस की जटिलताएँ (Complications of Cholecystitis)

यदि कोलेसिस्टाइटिस का समय पर और उचित उपचार न किया जाए, तो यह गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकता है:

  • पित्ताशय में संक्रमण (Infection within the Gallbladder): पित्ताशय में मवाद (Empyema) का जमाव हो सकता है।
  • पित्ताशय के ऊतकों का मरना (Death of Gallbladder Tissue - Gangrene): लंबे समय तक सूजन से पित्ताशय के ऊतक मर सकते हैं, खासकर यदि रक्त की आपूर्ति बाधित हो जाए। यह मधुमेह वाले लोगों या देर से उपचार कराने वालों में अधिक आम है।
  • पित्ताशय का फटना (Gallbladder Rupture / Perforation): सूजन या गैंग्रीन के कारण पित्ताशय फट सकता है, जिससे संक्रमण पेट की गुहा में फैल सकता है (पेरिटोनिटिस - Peritonitis), जो एक जानलेवा स्थिति है।
  • पित्ताशय फिस्टुला (Gallbladder Fistula): पित्ताशय की सूजन अन्य अंगों (जैसे छोटी आंत) से असामान्य संबंध (फिस्टुला) बना सकती है।
  • पित्त पथरी अग्नाशयशोथ (Gallstone Pancreatitis): यदि एक पित्त पथरी अग्नाशय की नली को अवरुद्ध कर देती है, तो अग्नाशय (Pancreas) में सूजन हो सकती है।
  • पीलिया (Jaundice): यदि पित्त नलिका में गंभीर रुकावट हो, तो पीलिया हो सकता है।


पित्ताशय के स्वास्थ्य के लिए आहार और जीवनशैली (Diet and Lifestyle for Gallbladder Health)

हालांकि कोलेसिस्टाइटिस को हमेशा रोका नहीं जा सकता, खासकर यदि पित्त पथरी का कारण आनुवंशिक हो, तो स्वस्थ आहार और जीवनशैली पित्त पथरी के जोखिम को कम करने और पित्ताशय के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद कर सकती है:

  • कम वसा वाला आहार (Low-Fat Diet): वसायुक्त और तले हुए खाद्य पदार्थों का सेवन कम करें, क्योंकि ये पित्ताशय पर अधिक दबाव डालते हैं।
  • फाइबर से भरपूर आहार (Fiber-Rich Diet): साबुत अनाज, फल, सब्जियां, और फलियाँ जैसे फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन बढ़ाएँ। फाइबर पित्त में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है।
  • स्वस्थ प्रोटीन (Lean Proteins): लीन मीट, चिकन, मछली और दालें चुनें।
  • पर्याप्त पानी पिएं (Stay Hydrated): पूरे दिन पर्याप्त पानी पीने से पित्त पतला रहता है और पथरी बनने का जोखिम कम होता है।
  • धीरे-धीरे वजन कम करें (Lose Weight Slowly): यदि आप अधिक वजन वाले हैं, तो धीरे-धीरे वजन कम करें। तेज़ी से वजन घटाने से पित्त पथरी का खतरा बढ़ सकता है।
  • नियमित व्यायाम (Regular Exercise): शारीरिक रूप से सक्रिय रहना समग्र स्वास्थ्य के लिए अच्छा है और पित्त पथरी के जोखिम को कम कर सकता है।
  • स्वस्थ वजन बनाए रखें (Maintain a Healthy Weight): मोटापा पित्त पथरी और कोलेसिस्टाइटिस के लिए एक जोखिम कारक है।


कार्रवाई के लिए बुलावा (Call to Action)

अस्वीकरण (Disclaimer): यह लेख कोलेसिस्टाइटिस के बारे में सामान्य जानकारी प्रदान करने के लिए है और इसे चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। यदि आप कोलेसिस्टाइटिस के लक्षणों का अनुभव कर रहे हैं, तो कृपया तुरंत एक योग्य डॉक्टर या गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट से परामर्श करें। वे आपकी स्थिति का सही निदान कर सकते हैं और आपके लिए सबसे उपयुक्त उपचार योजना निर्धारित कर सकते हैं। समय पर चिकित्सा सहायता लेना गंभीर जटिलताओं को रोकने में मदद कर सकता है।

क्या आप कोलेसिस्टाइटिस या पित्ताशय के स्वास्थ्य से जुड़े किसी अन्य प्रश्न के बारे में जानना चाहते हैं? हमें बताएं!


निष्कर्ष (Conclusion)

कोलेसिस्टाइटिस एक गंभीर स्थिति है जिसमें पित्ताशय की थैली में सूजन आ जाती है, अक्सर पित्त पथरी के कारण। पेट में तेज दर्द, मतली, उल्टी और बुखार जैसे लक्षणों को नज़रअंदाज नहीं करना चाहिए, खासकर वसायुक्त भोजन के बाद। शुरुआती निदान और उपचार, जो अक्सर पित्ताशय को हटाने की सर्जरी होता है, गंभीर जटिलताओं को रोकने के लिए महत्वपूर्ण है। एक स्वस्थ जीवनशैली और आहार का पालन करके आप अपने पित्ताशय के स्वास्थ्य की रक्षा कर सकते हैं। अपनी सेहत को प्राथमिकता दें और किसी भी चिंता के लिए तुरंत चिकित्सा सलाह लें।


स्रोत (References)

  • अमेरिकन गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिकल एसोसिएशन (American Gastroenterological Association - AGA)
  • नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डायबिटीज एंड डाइजेस्टिव एंड किडनी डिजीज (NIDDK - NIH)
  • मायो क्लिनिक (Mayo Clinic)
  • जॉन्स हॉपकिंस मेडिसिन (Johns Hopkins Medicine)

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