गर्भाशय कैंसर (Uterine Cancer): लक्षण, कारण, प्रकार, निदान और उपचार

 

गर्भाशय कैंसर (Uterine Cancer) महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण जानकारी

परिचय (Introduction)

गर्भाशय, जिसे बच्चेदानी भी कहते हैं, महिलाओं के प्रजनन तंत्र का एक महत्वपूर्ण अंग है। यह वह स्थान है जहाँ एक शिशु गर्भावस्था के दौरान विकसित होता है। गर्भाशय कैंसर (Uterine Cancer) एक ऐसी बीमारी है जिसमें गर्भाशय की कोशिकाओं में असामान्य वृद्धि होने लगती है और वे अनियंत्रित रूप से विभाजित होने लगती हैं, जिससे ट्यूमर बन जाता है। यदि इसका समय पर निदान और उपचार न किया जाए, तो यह शरीर के अन्य भागों में भी फैल सकता है।

भारत सहित दुनियाभर में महिलाओं में होने वाले कैंसर में गर्भाशय कैंसर एक आम प्रकार है। हालांकि, अच्छी खबर यह है कि यदि इसका शुरुआती चरण में पता चल जाए, तो इसके इलाज की संभावना काफी अधिक होती है। इस ब्लॉग पोस्ट में, हम गर्भाशय कैंसर के विभिन्न पहलुओं को समझेंगे, जिसमें इसके प्रकार, लक्षण, कारण, निदान, उपचार और सबसे महत्वपूर्ण, बचाव के तरीके शामिल हैं।

Uterine Cancer



गर्भाशय कैंसर क्या है? (What is Uterine Cancer?)

गर्भाशय कैंसर एक प्रकार का कैंसर है जो गर्भाशय की कोशिकाओं में विकसित होता है। गर्भाशय, पेल्विस (श्रोणि) में स्थित एक खोखला, नाशपाती के आकार का अंग है जहाँ गर्भावस्था के दौरान भ्रूण विकसित होता है। गर्भाशय कैंसर मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है, जो गर्भाशय के अंदर की अलग-अलग परतों से उत्पन्न होता है:

1. एंडोमेट्रियल कैंसर (Endometrial Cancer):

यह गर्भाशय कैंसर का सबसे आम प्रकार है, जो लगभग 90% मामलों में देखा जाता है। यह गर्भाशय की सबसे भीतरी परत, जिसे एंडोमेट्रियम (Endometrium) कहा जाता है, में विकसित होता है। यह कैंसर अक्सर शुरुआती चरण में ही पकड़ में आ जाता है क्योंकि यह असामान्य योनि से रक्तस्राव जैसे स्पष्ट लक्षण दिखाता है।

2. यूटेराइन सार्कोमा (Uterine Sarcoma):

यह गर्भाशय कैंसर का एक दुर्लभ लेकिन अधिक आक्रामक प्रकार है। यह गर्भाशय की मांसपेशियों की परत (मायोमेट्रियम - Myometrium) या गर्भाशय के सहायक संयोजी ऊतक (connective tissue) में विकसित होता है। यूटेराइन सार्कोमा अक्सर एंडोमेट्रियल कैंसर की तुलना में अधिक तेज़ी से फैलता है और इसका निदान करना अधिक चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

यह समझना महत्वपूर्ण है कि गर्भाशय कैंसर और सर्वाइकल कैंसर (Cervical Cancer - गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर) अलग-अलग प्रकार के कैंसर हैं। सर्वाइकल कैंसर गर्भाशय के निचले, संकरे हिस्से (गर्भाशय ग्रीवा या सर्विक्स) में होता है, जबकि गर्भाशय कैंसर (मुख्य रूप से एंडोमेट्रियल कैंसर) गर्भाशय के मुख्य शरीर में होता है।


गर्भाशय कैंसर के कारण और जोखिम कारक (Causes and Risk Factors of Uterine Cancer)

गर्भाशय कैंसर का सटीक कारण हमेशा स्पष्ट नहीं होता है, लेकिन कुछ कारक इसके विकसित होने के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। यह अक्सर तब होता है जब गर्भाशय की कोशिकाओं में आनुवंशिक परिवर्तन (genetic mutations) होते हैं, जिससे वे असामान्य रूप से बढ़ने और ट्यूमर बनाने लगती हैं।

मुख्य जोखिम कारक:

  1. हार्मोनल असंतुलन (Hormonal Imbalance):
    • एस्ट्रोजन का अधिक स्तर (Higher Estrogen Levels): गर्भाशय कैंसर, विशेषकर एंडोमेट्रियल कैंसर, अक्सर एस्ट्रोजन के उच्च स्तर से जुड़ा होता है जिसके साथ प्रोजेस्टेरोन का संतुलन नहीं होता। यह कई कारणों से हो सकता है:

      मोटापा (Obesity): वसा ऊतक एस्ट्रोजन का उत्पादन करते हैं, जिससे शरीर में इसका स्तर बढ़ जाता है।
    • कभी गर्भवती न होना (Never being pregnant): गर्भावस्था के दौरान प्रोजेस्टेरोन का स्तर बढ़ जाता है, जो एस्ट्रोजन के प्रभाव को संतुलित करता है।
    • रजोनिवृत्ति के बाद एस्ट्रोजन थेरेपी (Estrogen Therapy after Menopause): यदि प्रोजेस्टेरोन के बिना केवल एस्ट्रोजन दिया जाए।
    • पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS): यह एक ऐसी स्थिति है जहाँ अंडाशय नियमित रूप से डिंबोत्सर्जन (ovulation) नहीं करते, जिससे एस्ट्रोजन का स्तर उच्च रहता है।
  2. उम्र (Age): यह आमतौर पर अधिक उम्र की महिलाओं में होता है, विशेषकर रजोनिवृत्ति के बाद। अधिकांश मामले 50 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में देखे जाते हैं।
  3. मधुमेह (Diabetes): मधुमेह वाली महिलाओं में गर्भाशय कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।
  4. टैमोक्सीफेन का उपयोग (Tamoxifen Use): स्तन कैंसर के उपचार के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवा टैमोक्सीफेन गर्भाशय कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकती है, हालांकि स्तन कैंसर के उपचार में इसके लाभ आमतौर पर इस जोखिम से अधिक होते हैं।
  5. वंशानुगत सिंड्रोम (Hereditary Syndromes): कुछ आनुवंशिक सिंड्रोम, जैसे लिंच सिंड्रोम (Lynch Syndrome), गर्भाशय कैंसर के जोखिम को बढ़ाते हैं।
  6. उच्च वसा वाला आहार (High-Fat Diet): वसायुक्त आहार मोटापे में योगदान कर सकता है, जो अप्रत्यक्ष रूप से जोखिम को बढ़ाता है।
  7. प्रारंभिक माहवारी और देर से रजोनिवृत्ति (Early Menarche and Late Menopause): यदि मासिक धर्म 12 वर्ष की आयु से पहले शुरू होता है और रजोनिवृत्ति 55 वर्ष के बाद होती है, तो महिला अधिक वर्षों तक एस्ट्रोजन के संपर्क में रहती है, जिससे जोखिम बढ़ जाता है।


गर्भाशय कैंसर के लक्षण (Symptoms of Uterine Cancer)

गर्भाशय कैंसर के लक्षण अक्सर शुरुआती चरणों में ही दिखाई देने लगते हैं, जिससे इसका निदान और उपचार समय पर हो पाता है। इन लक्षणों को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए:

  1. असामान्य योनि से रक्तस्राव (Abnormal Vaginal Bleeding): यह गर्भाशय कैंसर का सबसे आम और अक्सर पहला लक्षण होता है। इसमें शामिल हो सकते हैं:
    • रजोनिवृत्ति के बाद योनि से रक्तस्राव (Vaginal bleeding after menopause): यह सबसे महत्वपूर्ण लक्षण है।
    • मासिक धर्म के बीच रक्तस्राव या स्पॉटिंग।
    • मासिक धर्म का असामान्य रूप से भारी या लंबा होना।
    • यौन संबंध बनाने के बाद रक्तस्राव।
  2. असामान्य योनि स्राव (Unusual Vaginal Discharge): रक्त-मिश्रित, गुलाबी, पतला या दुर्गंधयुक्त योनि स्राव।
  3. पेल्विक (श्रोणि) में दर्द या दबाव (Pelvic Pain or Pressure): निचले पेट या पेल्विस में लगातार दर्द या ऐंठन महसूस होना।
  4. संभोग के दौरान दर्द (Pain during Intercourse):
  5. पेशाब संबंधी समस्याएँ (Urinary Problems): बार-बार पेशाब आना, पेशाब करते समय दर्द या कठिनाई (यदि ट्यूमर मूत्राशय पर दबाव डाल रहा हो)।
  6. वजन कम होना (Weight Loss): बिना किसी स्पष्ट कारण के वजन कम होना।
  7. पेट में सूजन (Abdominal Bloating):

यदि आपको इनमें से कोई भी लक्षण महसूस होता है, खासकर रजोनिवृत्ति के बाद असामान्य रक्तस्राव, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लेना महत्वपूर्ण है।


गर्भाशय कैंसर का निदान (Diagnosis of Uterine Cancer)

गर्भाशय कैंसर के निदान के लिए विभिन्न परीक्षणों का उपयोग किया जाता है:

  1. शारीरिक परीक्षण और चिकित्सा इतिहास (Physical Exam and Medical History): डॉक्टर आपके लक्षणों और चिकित्सा इतिहास के बारे में जानकारी लेंगे, और एक पेल्विक परीक्षा (pelvic exam) करेंगे।
  2. ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड (Transvaginal Ultrasound - TVUS): यह गर्भाशय की परत की मोटाई और किसी भी असामान्यता को देखने के लिए किया जाने वाला एक इमेजिंग टेस्ट है।
  3. एंडोमेट्रियल बायोप्सी (Endometrial Biopsy): यह गर्भाशय कैंसर का निदान करने का सबसे सामान्य और प्रभावी तरीका है। इसमें गर्भाशय की अंदरूनी परत (एंडोमेट्रियम) से ऊतक का एक छोटा सा नमूना लेकर माइक्रोस्कोप के नीचे जांच की जाती है। यह आमतौर पर एक आउट पेशेंट प्रक्रिया के रूप में किया जा सकता है।
  4. डाइलेशन और क्युरेटाज (Dilation and Curettage - D&C): यदि बायोप्सी के परिणाम स्पष्ट नहीं हैं या आगे की जांच की आवश्यकता है, तो यह एक छोटी सर्जिकल प्रक्रिया है जिसमें गर्भाशय ग्रीवा को फैलाकर गर्भाशय की परत से अधिक ऊतक निकाले जाते हैं।
  5. हिस्टेरोस्कोपी (Hysteroscopy): इसमें गर्भाशय में एक पतली, हल्की ट्यूब डालकर गर्भाशय के अंदरूनी हिस्से को सीधे देखा जाता है और बायोप्सी के लिए नमूने लिए जा सकते हैं।
  6. इमेजिंग टेस्ट (Imaging Tests): यदि कैंसर का निदान हो जाता है, तो कैंसर के फैलाव (स्टेजिंग) का पता लगाने के लिए सीटी स्कैन (CT Scan), एमआरआई (MRI) या पीईटी स्कैन (PET Scan) जैसे टेस्ट किए जा सकते हैं।
  7. ब्लड टेस्ट (Blood Tests): कैंसर मार्कर (जैसे CA-125) की जांच की जा सकती है, हालांकि ये अकेले निदान के लिए पर्याप्त नहीं होते।

गर्भाशय कैंसर का उपचार (Treatment of Uterine Cancer)

गर्भाशय कैंसर का उपचार कैंसर के प्रकार, चरण (स्टेज), रोगी के समग्र स्वास्थ्य और व्यक्तिगत प्राथमिकताओं पर निर्भर करता है। उपचार योजना एक मल्टीडिसिप्लिनरी टीम (ऑन्कोलॉजिस्ट, सर्जन, रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट) द्वारा बनाई जाती है।

मुख्य उपचार विकल्प:

  1. सर्जरी (Surgery):

    • यह गर्भाशय कैंसर का सबसे आम उपचार है, खासकर एंडोमेट्रियल कैंसर के शुरुआती चरणों में।

    • टोटल हिस्टेरेक्टॉमी (Total Hysterectomy): इसमें गर्भाशय और गर्भाशय ग्रीवा (सर्विक्स) को हटाया जाता है।

    • बाइलेटरल सैल्पिंगो-ओओफोरेक्टॉमी (Bilateral Salpingo-Oophorectomy - BSO): इसमें दोनों अंडाशय (ओवरी) और फैलोपियन ट्यूब को भी हटाया जाता है।

    • कैंसर के फैलाव का पता लगाने के लिए अक्सर पास के लिम्फ नोड्स (lymph nodes) को भी हटाया जाता है।

    • सर्जरी लैप्रोस्कोपिक (laparoscopic), रोबोटिक (robotic) या ओपन सर्जरी के माध्यम से की जा सकती है।

  2. रेडिएशन थेरेपी (Radiation Therapy):

    • इसमें उच्च-ऊर्जा एक्स-रे का उपयोग करके कैंसर कोशिकाओं को नष्ट किया जाता है।

    • बाहरी बीम रेडिएशन (External Beam Radiation Therapy - EBRT): शरीर के बाहर से रेडिएशन दिया जाता है।

    • ब्रेकीथेरेपी (Brachytherapy): रेडिएशन स्रोत को सीधे गर्भाशय या योनि में रखा जाता है।

    • रेडिएशन का उपयोग सर्जरी के बाद बची हुई कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने के लिए, या यदि सर्जरी संभव न हो तो प्राथमिक उपचार के रूप में किया जा सकता है।

    • बाहरी बीम रेडिएशन (External Beam Radiation Therapy - EBRT): शरीर के बाहर से रेडिएशन दिया जाता है।

    • ब्रेकीथेरेपी (Brachytherapy): रेडिएशन स्रोत को सीधे गर्भाशय या योनि में रखा जाता है।

    • रेडिएशन का उपयोग सर्जरी के बाद बची हुई कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने के लिए, या यदि सर्जरी संभव न हो तो प्राथमिक उपचार के रूप में किया जा सकता है।

  3. कीमोथेरेपी (Chemotherapy):

    • इसमें कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए दवाएं (इंजेक्शन या मौखिक रूप से) दी जाती हैं। ये दवाएं रक्तप्रवाह के माध्यम से पूरे शरीर में यात्रा करती हैं।

    • कीमोथेरेपी अक्सर उन्नत या मेटास्टेटिक कैंसर (जो शरीर के अन्य भागों में फैल गया है) के लिए, या यदि कैंसर सर्जरी के बाद वापस आ जाता है तो उपयोग की जाती है।

    • कीमोथेरेपी अक्सर उन्नत या मेटास्टेटिक कैंसर (जो शरीर के अन्य भागों में फैल गया है) के लिए, या यदि कैंसर सर्जरी के बाद वापस आ जाता है तो उपयोग की जाती है।

  4. हार्मोन थेरेपी (Hormone Therapy):

    • कुछ एंडोमेट्रियल कैंसर हार्मोन-संवेदनशील होते हैं (यानी, एस्ट्रोजन पर निर्भर करते हैं)। हार्मोन थेरेपी कैंसर के विकास को रोकने के लिए हार्मोन के स्तर को कम करने या उनके प्रभाव को अवरुद्ध करने के लिए दवाओं का उपयोग करती है।

    • यह अक्सर उन कैंसरों के लिए उपयोग की जाती है जो धीमे बढ़ते हैं या जो शरीर के अन्य भागों में फैल गए हैं।

    • यह अक्सर उन कैंसरों के लिए उपयोग की जाती है जो धीमे बढ़ते हैं या जो शरीर के अन्य भागों में फैल गए हैं।

  5. लक्षित थेरेपी (Targeted Therapy):

    • ये दवाएं कैंसर कोशिकाओं के विशिष्ट कमजोर बिंदुओं पर हमला करती हैं, जिससे स्वस्थ कोशिकाओं को कम नुकसान होता है।
    • यह उन मामलों में उपयोग की जा सकती है जहाँ कैंसर मानक उपचारों का जवाब नहीं देता।
  6. इम्यूनोथेरेपी (Immunotherapy):

    • यह उपचार रोगी की अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली का उपयोग कैंसर कोशिकाओं से लड़ने के लिए करता है।



गर्भाशय कैंसर से बचाव (Prevention of Uterine Cancer)

हालांकि गर्भाशय कैंसर को पूरी तरह से रोका नहीं जा सकता, कुछ कदम जोखिम को कम करने में मदद कर सकते हैं:

  1. स्वस्थ वजन बनाए रखें (Maintain a Healthy Weight): मोटापा गर्भाशय कैंसर के सबसे बड़े जोखिम कारकों में से एक है। स्वस्थ आहार और नियमित व्यायाम के माध्यम से स्वस्थ वजन बनाए रखना महत्वपूर्ण है।
  2. शारीरिक रूप से सक्रिय रहें (Be Physically Active): नियमित व्यायाम कैंसर के जोखिम को कम करने में मदद करता है।
  3. हार्मोन थेरेपी पर चर्चा करें (Discuss Hormone Therapy): यदि आप रजोनिवृत्ति के लक्षणों के लिए हार्मोन थेरेपी ले रही हैं, तो अपने डॉक्टर से एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन के संतुलन के बारे में चर्चा करें।
  4. असामान्य रक्तस्राव पर ध्यान दें (Pay Attention to Abnormal Bleeding): रजोनिवृत्ति के बाद या मासिक धर्म के बीच किसी भी असामान्य रक्तस्राव को तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। यह एंडोमेट्रियल हाइपरप्लासिया (कैंसर-पूर्व स्थिति) का संकेत हो सकता है।
  5. परिवार के इतिहास की जानकारी दें (Inform about Family History): यदि आपके परिवार में लिंच सिंड्रोम का इतिहास है, तो अपने डॉक्टर को सूचित करें। वे आपको स्क्रीनिंग या आनुवंशिक परामर्श के बारे में मार्गदर्शन दे सकते हैं।
  6. गर्भ निरोधक गोलियों पर विचार करें (Consider Birth Control Pills): कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि जन्म नियंत्रण की गोलियाँ (संयुक्त एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन वाली) एंडोमेट्रियल कैंसर के जोखिम को कम कर सकती हैं, खासकर यदि लंबे समय तक उपयोग की जाएं।


अस्वीकरण (Disclaimer): यह लेख गर्भाशय कैंसर के बारे में सामान्य जानकारी प्रदान करने के लिए है और इसे चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। यदि आपको गर्भाशय कैंसर के कोई लक्षण महसूस होते हैं, या आपको अपने स्वास्थ्य के बारे में कोई चिंता है, तो कृपया तुरंत एक योग्य चिकित्सक या स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श करें। शुरुआती निदान और सही उपचार इस बीमारी से लड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अपनी सेहत को प्राथमिकता दें और आवश्यकता पड़ने पर चिकित्सा सहायता लेने में संकोच न करें।

क्या आप महिला स्वास्थ्य से संबंधित किसी अन्य विषय पर जानकारी चाहेंगे? नीचे कमेंट बॉक्स में अपने सवाल साझा करें।


निष्कर्ष (Conclusion)

गर्भाशय कैंसर एक गंभीर बीमारी है, लेकिन इसके शुरुआती लक्षणों को पहचानना और समय पर चिकित्सा सहायता प्राप्त करना इसके सफल उपचार की कुंजी है। लक्षणों के प्रति जागरूक रहकर, जोखिम कारकों को समझकर और स्वस्थ जीवन शैली अपनाकर आप इस बीमारी के जोखिम को कम कर सकती हैं। याद रखें, आपका स्वास्थ्य आपकी प्राथमिकता है, और नियमित जांच तथा किसी भी असामान्य लक्षण पर तुरंत ध्यान देना आपके जीवन को बचा सकता है।


स्रोत (References)

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने